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विश्वास का ताबीज - Motivational Story In Hindi - Storykunj



 हम हमेशा ऐसे लोगों से प्रभावित होते हैं जो कुछ अलग और श्रेष्ठ होते हैं उनकी श्रेष्ठता हमेशा प्रशंसा के योग्य होती है परंतु हम कभी ध्यान नहीं करते कि जो श्रेष्ठ है। तो भला वह क्यों और कैसे श्रेष्ठ हैं?  एक ही समाज से निकल कर एक व्यक्ति विचारों के शिखर पर पहुंच जाता है और बाकी सब उससे पीछे खड़े रह जाते हैं साधारण और असाधारण प्रतिभा कैसे बनती है? 

 यह हमें सोचना चाहिए। 

 एक बार की बात है। एक प्रसिद्ध संत महात्मा का एक गांव में आगमन हुआ।  संत महात्मा के आने का समाचार एक-दूसरे से होते हुए पूरे गांव में फैल गया। गांव के बहुत सारे लोगों ने उन संत महात्मा के दर्शन किए। और अपनी-अपनी समस्या बताते हुए, उनसे मार्गदर्शन लिया। उसी गांव में एक रमेश नाम का युवक रहता था। वह बहुत मेहनती था। उसके पिता का गुड़ का व्यवसाय था। रमेश पूरा दिन गुड़ की भेली तैयार करने में जुटा रहता था। और बीच-बीच में ग्राहकों को भी निपटाता रहता था। और पिता लेन-देन का सारा हिसाब किताब संभालते थे। इतनी मेहनत करने के बाद भी रमेश को उसके पिता ने काम का क्रेडिट कभी नहीं दिया। वे हमेशा दूसरों से यही कहते थे कि रमेश कुछ काम नहीं करता हैं।   उसकी पत्नी को खर्चे के लिए जब भी पैसों की जरूरत होती तो रमेश के पास एक भी पैसा देने के लिए नहीं होता था। वह एक-एक पैसे के लिए पिता पर निर्भर थे। 

एक बार पत्नी ने रमेश से अपना अलग कोई काम करने के लिए कहा। परंतु रमेश को अपनी काबिलियत पर भरोसा नहीं था। वह हमेशा शंकित रहता था। कि वह अपने काम में सफल होगा या नहीं। इसीलिए वह अपने बलबूते पर कोई भी काम शुरू करने से डरता था। 

जब उसने संत महात्मा के बारे में सुना तो पत्नी के कहने पर वह उनसे मिलने पहुंचा। उसने संत महात्मा को अपनी नाकामियों के बारे में बताया। 
 
संत ने कहा ! मैं तुम्हारे लिए एक ताबीज बना कर दूंगा। तुम मेरे पास कल आना। 
 
अगले दिन रमेश फिर से संत महात्मा के पास पहुंचा। 
 
संत ने कहा ! पुत्र तुम्हारी समस्या का हल इस ताबीज में है। इसमें कुछ मंत्र लिखे हुए हैं। और इसे सिद्ध करने के लिए तुम्हें एक रात के लिए किसी श्मशान में रुकना होगा। 
 श्मशान का नाम सुनते ही रमेश का चेहरा पीला पड़ गया। वह बहुत घबरा गया। 
 कहने लगा ! मैं रात भर किसी शमशान में अकेला कैसे रहूंगा ? डर लगेगा। 
 
संत ने समझाया पुत्र घबराओ मत।  यह कोई साधारण ताबीज नहीं है। यह तुम्हें हर संकट से बचाकर रखेगा। 
 
रमेश को बात समझ में आई। और उसने हिम्मत करके किसी तरह पूरी रात श्मशान में बिताई। सुबह होने पर वह फिर से संत महात्मा के पास पहुंचा। और उन्हें धन्यवाद दिया। और फिर रमेश अपने काम में लग गया। 





इस घटना के बाद से रमेश में काफी बदलाव आया। उसने गुड़ का होलसेल का काम शुरू किया। अब वह जो भी काम करता उसमें सफल होता।  और हमेशा यही सोचा करता था कि ताबीज के कारण ही वह कामयाब हो रहा है।  करीब इसी तरह एक साल बीत गया। एक साल बाद फिर से उस गांव में उन संत महात्मा का आगमन हुआ। 

 जैसे ही रमेश को महान संत के आने का पता चला। वह तुरंत दर्शन के लिए पहुंच गया। और उनके दिए हुए उस ताबीज का खूब गुणगान करने लगा। 

 तब संत बोले बेटे जरा अपना वह ताबीज निकाल कर देना।  संत ने ताबीज हाथ में लिया। और उसे खोला। उसे खुलते ही रमेश स्तब्ध रह गया। ताबीज के अंदर मंत्र जैसा कुछ भी नहीं लिखा था। वह तो एक ताबीज का एक खोल मात्र था। 
 ताबीज का खाली खोल मात्र देखकर रमेश भौचक्का रह गया ! अरे....... यह तो मामूली ताबीज है। फिर इसने मुझे इतनी सफलता कैसे दिलाई? 

 संत ने रमेश के कंधे पर हाथ रख कर कहा !  पुत्र तुम्हें सफलता तुम्हारे विश्वास ने,  तुम्हारे भरोसे ने, तुम्हारी काबिलियत ने दिलाई, किसी ताबीज ने नहीं। 
 
 बात यह है कि अपने जीवन में कुछ अलग, कुछ श्रेष्ठ करना हो तो काम की गंभीरता समझ लेनी चाहिए। पहले ऋषि,  मुनि,  सूफी, संत इसलिए घूमते रहते थे कि अधिक से अधिक ज्ञान हासिल करके मनुष्य को कुछ ऐसा सुझाया जाए। जिससे उनका जीवन आसान हो जाए। 


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