मुश्किल वक्त के साथी - Moral Story In Hindi - Storykunj
अंकित और धीरज एक ही स्कूल में पढ़ते थे। पढ़ाई में बहुत होशियार थे। और दोनों में गहरी दोस्ती थी। 12वीं में दोनों ने साथ-साथ एनसीसी ज्वाइन की थी। वहां भी दोनों दोस्त मार्चिंग, रनिंग और बाकी सभी तरह की एक्टिविटी में साथ-साथ रहते। एनसीसी ज्वाइन करते समय तक तो दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। लेकिन वहां पहुंचने के बाद उनमें तगड़ा कंपटीशन हो गया। और इसी कंपटीशन के चलते दोनों एनसीसी की हर एक्टिविटी में खुद को बुरी तरह से झोंकने लगे। कुछ ही दिनों में दोनों दोस्त को स्कूल का बेस्ट कैंडिडेट माना गया। और दोनों को स्कूल की ओर से आर्मी कैंप में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया।
आर्मी कैंप में जाने तक तो दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी।
लेकिन कैंप में रहते हुए एक बार दोनों में किसी बात को लेकर लड़ाई हो गई। और यह लड़ाई भी आपसी कंपटीशन के चलते ही हुई थी। झगड़ा इतना बढ़ गया कि बोलचाल बंद हो गई। और दोनों के रास्ते अलग हो गए। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी होने के बाद अंकित ने एनसीसी छोड़ दी।
जबकि धीरज सीआरपीएफ की तैयारी में लग गया।
कुछ समय बाद की बात है। अंकित की मम्मी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई। उनकी नाक से खून बहने लगता था। और यह प्रॉब्लम कुछ ऐसी थी कि रात में नींद में ही खून बहने लगता। और सुबह नॉर्मल हो जाता था। अंकित के पापा ने अच्छे-अच्छे डॉक्टर के पास दिखाया। लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। मामला संभलता ना देख डॉक्टर ने उन्हें दिल्ली के एक बड़े हॉस्पिटल को रेफर कर दिया। वहां अंकित की मम्मी को एडमिट कराया गया।
चेकअप करने के बाद डॉक्टर साहब बोले ! देखिए इनके शरीर में खून की काफी कमी हो गई है। जल्दी से जल्दी इन्हें खून चढ़ाना पड़ेगा। आप लोग ब्लड का इंतजाम कर लीजिए।
अंकित तुरंत ब्लड बैंक पहुंचा। तो पता चला कि वहां ब्लड के बदले ब्लड वापस जमा करना जरूरी है। भले ही ब्लड का ग्रुप अलग हो।
अंकित के पापा को थायराइड की प्रॉब्लम बरसों से है। इसलिए उनका ब्लड नहीं ले सकते थे।
अंकित ने अपना टेस्ट कराया तो उसमें भी कुछ समस्या निकली।
हालांकि ब्लड बैंक से ब्लड तो मिल गया। लेकिन उन लोगों ने यह शर्त भी रख दी, के डिस्चार्ज तभी हो पाएंगे। जब ब्लड बैंक में उतना ही ब्लड जमा करेंगे।
अब अंकित ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से ब्लड के लिए संपर्क करना शुरू किया। और मम्मी की हालत के बारे में बताया। फोन पर तो किसी ने भी निराश नहीं किया सभी रिश्तेदारों ने अंकित को बहुत हिम्मत दी। और कहा कि तुम बिल्कुल चिंता मत करो। अंकित ने सभी को हॉस्पिटल, और वार्ड की जानकारी दी। ताकि आसानी से पहुंच सके।
लेकिन अगले पांच दिन तक हॉस्पिटल में रिश्तेदार, दोस्त कोई भी नहीं आया। जब अंकित ने फोन किया तो सब ने तरह-तरह के बहाने बनाने शुरू कर दिए थे। अंकित और उसके पापा की चिंता बढ़ती जा रही थी। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें। एक-एक दिन पहाड़ की तरह बीत रहा था। क्योंकि प्राइवेट अस्पताल होने के कारण उसकी फीस भी बहुत ज्यादा थी।
पांचवें दिन भी अंकित और उसके पापा इसी चिंता में वार्ड के बाहर खड़े थे। किसी से भी मदद की कोई उम्मीद नहीं थी। कि अचानक से अंकित के फोन की घंटी बजी। कोई अनजान नंबर से फोन था।
परेशान अंकित ने फोन उठाया तो फोन करने वाले ने बताया कि वह अंकित का वही पुराना एनसीसी वाला साथी धीरज है।
धीरज...... अंकित धीरे से बोला !
हां धीरज....... उस परेशानी में भी अंकित को वह दिन याद आया। जब दोनों में बहुत ज्यादा झगड़ा हुआ था। और बोलचाल बंद हो चुकी थी।
धीरज बोला ! अरे यार...... गुमसुम खड़ा ही रहेगा या कुछ बोलेगा भी।
अंकित को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि यह फोन करने वाला धीरज ही है।
उसने पूछा ! कौन से हॉस्पिटल में हो?
मैं मिलने आ रहा हूं
एक बार तो अंकित ने उसे मना करना चाहा।
लेकिन फिर मना नहीं कर पाया।
थोड़ी ही देर में धीरज अपने सीआरपीएफ के साथियों के साथ हॉस्पिटल में पहुंच गया। यह सभी मिलकर आर्मी और सीआरपीएफ की तैयारी कर रहे थे।
आते ही धीरज बोला ! भाई तू चिंता बिल्कुल मत कर और लड़के भी आ रहे हैं।
फिर वह डॉक्टर से बोला ! डॉक्टर साहब आप डिस्चार्ज करने का प्रोसेस शुरू करिए। हम सब मिलकर आपके ब्लड बैंक की टंकियां फुल कर देंगे।
इसके बाद तो डॉक्टरों ने फटाफट अंकित की मम्मी को डिस्चार्ज कर दिया। और जो इंतजार में दिन एक्स्ट्रा हुए थे। उसकी फीस भी उन्होंने आधी कर दी। यह सब देखकर अंकित अपने दोस्त के गले लग कर रोने लगा। तो धीरज हंसा और एकदम आर्मी वाले अंदाज में बोला !
'यू नो, एनसीसी मैन नेवर क्राई।'
यह सुनकर अंकित को हंसी आ गई। अंकित कहने लगा !
'हां, एनसीसी मैन सिर्फ लड़ते हैं, जीतते हैं, और आगे बढ़ते हैं।'
आज अंकित को यकीन हो गया कि धीरज जैसे सच्चे दोस्त मुश्किल से मिलते हैं। जो मुश्किल वक्त में पिछली सारी बातों को भूलाकर आज उसके साथ हॉस्पिटल में खड़ा था।
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