परिस्थिति अनुसार मूक परिवर्तन - Inspirational Post In Hindi - Storykunj
हेलो फ्रेंड्स Storykunj In Hindi में आपका स्वागत है। आज की Post है परिस्थिति अनुसार मूक परिवर्तन। एक ऐसा बदलाव जिसे हम अपना नैतिक कर्तव्य समझ कर स्वयं करते हैं।
परिवर्तन शब्द जीवन में हमने कई बार सुना है। परिस्थिति के अनुसार हमारे समाज में परिवर्तन भिन्न - भिन्न हो सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमारे समाज में कुछ बदलाव स्वीकार किए हैं। जैसे कि सरकार की प्रेरणा का ही परिणाम है कि अब हर वर्ग ने स्वच्छ भारत की परिभाषा को समझा भी और स्वच्छता की आवश्यकता को स्वीकार भी किया है।
हालांकि परिवर्तन शब्द सुनने में जितना आसान है। उतना ही मुश्किल भी है। इंसान की मानसिकता में बदलाव लाना बेहद मुश्किल है। यदि हम प्राचीन भारत पर नजर डालें तो हमें बताया गया है कि परिवर्तन किसी महान इंसान से प्रेरणा मिलने पर ही स्वीकार किए जाते हैं। लेकिन कुछ बदलाव ऐसे भी हैं। जो बिना किसी महान इंसान की प्रेरणा के भी हमारे समाज में हुए हैं। जैसे कि एंबुलेंस के सायरन की आवाज सुनते ही मार्ग देने की प्राथमिकता को स्वीकार किया जाना। इसमें हमारे सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है।
इसके अतिरिक्त समाज में एक और परिवर्तन दिखाई देने लगा है। जब से यह करोना नामक वायरस की उत्पत्ति हुई है तब से लोगों के जीवन के प्रति नजरिए में भी बदलाव आया है। जहां पहले किसी गाड़ी सवार के रास्ते में एक साइकिल सवार आ जाता था। तो लोग साइकिल सवार पर अपना भरपूर गुस्सा निकालते थे। और उन पर भड़क उठते थे। लेकिन अब साइकिल सवार के प्रति सम्मान की भावना विकसित हुई है। और उन्हें रास्ता देना अपना नैतिक कर्तव्य समझ रहे हैं।
लोगों का जीवन के प्रति जो नजरिया पहले था। वह अब बदलने लगा है। जहां तक सम्मान की बात है तो एक साइकिल चला रहा व्यक्ति इस सम्मान को पाने का पूर्ण हकदार है। क्योंकि वह प्रदूषण नहीं फैलाता, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता और सड़क पर बढ़ते ट्रैफिक के खिलाफ अपनी जंग लड़ते हुए समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश देता है।
हमें किसी को भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। सभी अपने आप में श्रेष्ठ होते हैं। हमें सभी का महत्व समझना चाहिए ।
शायद यह मेरे भारत में एक नई शुरुआत है !परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार में बदलाव की शुरुआत ! साइकिल क्रांति की शुरुआत !
Inspiration - हमारे जीवन का परिवर्तन से हमेशा से संबंध रहा है। कुछ परिवर्तन तो प्राकृतिक होते हैं। और कुछ हम अपने अनुभव के आधार पर स्वयं अपनाते हैं। हम स्वयं को एक नई शुरुआत के लिए प्रेरित करते हैं और उस पर अमल करते हैं।
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