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अनजाने पाप का बोझ - Moral Story In Hindi - Storykunj



एक बार की बात है। एक राजा ने धर्म करने के विचार से प्रतिदिन सो अंधे लोगों को खीर खिलाने का फैसला लिया। 

 दुर्भाग्यवश एक दिन रसोईया खीर वाले दूध को ढकना भूल गया और उस दूध में न जाने कहां से आकर एक सांप ने मुंह डाला और दूध में विष डाल दी । ज़हरीली खीर को खाने के कारण सो के सो अंधे व्यक्ति मर गए।

राजा बहुत परेशान हुआ कि मुझे इतने सारे निर्दोष आदमियों की हत्या का पाप लगेगा।

 परेशान राजा अपने मन को शांति देने के लिए अपने राज्य को छोड़कर जंगलों में भक्ति करने के लिए चल पड़ा। ताकि इस पाप की उसको माफी मिल सके।

 चलते-चलते रास्ते में एक गांव आया। वहां की चौपाल में कुछ लोग बैठे हुए थे। राजा ने गांव के चौपाल में बैठे लोगों से पूछा कि क्या इस गांव में कोई भक्ति भाव वाला धार्मिक परिवार है। ताकि उसके घर आज की रात काटी जा सके ?

चौपाल में बैठे लोगों ने बताया कि इस गांव में दो बहन-भाई रहते हैं जो खूब पूजा करते हैं। राजा उन बहन-भाई के घर पहुंचा और उनसे अनुमति लेकर उनके घर रात में ठहर गया।

सुबह जब राजा उठा तो लड़की पूजा पर बैठी हुई थी । इससे पहले वैसे तो लड़की का रूटीन था कि वह दिन निकलने से पहले ही पूजा से उठ जाया करती थी और फिर नाश्ता तैयार करती थी।

लेकिन उस दिन वह लड़की बहुत देर तक पूजा पर बैठी रही। जब लड़की उठी तो उसके भाई ने कहा कि बहन ! आज तू इतनी देर से उठी है । तुझे मालूम है हमारे घर मुसाफिर आया हुआ है और उसे नाश्ता करके दूर जाना है। 

 लड़की ने जवाब दिया कि भैया ऊपर एक  मामला उलझा हुआ था। धर्मराज को किसी उलझन भरी स्थिति पर कोई फैसला लेना था और मैं वह फैसला सुनने के लिए रुक गयी थी। इसलिए आज मैं देर तक ध्यान करती रही। 

 उसके भाई ने पूछा ! ऐसी क्या बात थी ?

 लड़की ने बताया कि फलां राज्य का राजा अंधे व्यक्तियों को खीर खिलाया करता था। लेकिन सांप द्वारा दूध विषैला कर देने के कारण सो अंधे व्यक्ति मर गए। अब धर्मराज उलझन में है। उनको समझ नहीं आ रहा कि अंधे व्यक्तियों की मौत का पाप किसको लगे।  राजा को , सांप को या दूध बिना ढके छोड़ने वाले रसोइये को लगे।

राजा भाई-बहन की यह सभी बातें सुन रहा था। अपने आप से संबंधित उन सभी बातों को सुन कर राजा को उनकी बात में दिलचस्पी हो गई। 

 राजा ने लड़की से पूछा कि फिर क्या फैसला हुआ ?

लड़की ने बताया कि अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया था।

  राजा ने पूछा कि अगर एतराज ना हो तो क्या मैं आपके घर एक रात के लिए और ठहर सकता हूं ?

दोनों बहन-भाइयों ने खुशी से उसको हां कर दी।

राजा अगले दिन के लिए उनके घर रुक गया। 

लेकिन चौपाल में बैठे लोगों को यह अच्छा नहीं लगा।  उनके बीच दिन भर यही चर्चा होती रही कि कल जो व्यक्ति हमारे गांव में एक रात रुकने के लिए आया था।  और कोई भक्ति - भाव वाला धार्मिक घर पूछ रहा था। उसकी भक्ति का नाटक तो भाइयों हम सबके सामने आ गया है। 




वह तो सिर्फ एक रात काटने के लिए ठहरा था।  परंतु भाइयों रात काटने के बाद भी वह व्यक्ति   नहीं गया। क्योंकि जवान लड़की को देखकर      उस व्यक्ति की नियत खराब हो गई। इसलिए वह उस खूबसूरत और जवान लड़की के घर में निश्चित तौर पर ही ठहरेगा या फिर लड़की को लेकर भागेगा। दिनभर चौपाल में बैठे लोग उस राजा की अपने-अपने तरीके से निंदा करते रहे ।

अगली सुबह लड़की फिर ध्यान पर बैठी और जो उसका हमेशा का रूटीन टाइम था।  आज वह उसके अनुसार उठ गई। 

राजा ने पूछा:- "बेटी अंधे व्यक्तियों की हत्या का               पाप किसको लगा ?"

 लड़की ने बताया कि:- "वह पाप तो हमारे गांव के चौपाल में बैठने वाले जो भी लोग थे। वह सभी लोग बांट के ले गए।"


Moral :-  इस कहानी से हमें यह सीख मिलती        है कि किसी की निंदा करना कितना घाटे का सौदा होता है? क्योंकि निंदक हमेशा दूसरों के पाप अपने सर पर ढोता रहता है। और दूसरों द्वारा किये गए उन पाप-कर्मों के फल को भी भोगता है। 
अतः हमें सदैव निंदा करने से बचना चाहिए।

     
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