अच्छा टीचर - Interesting Story In Hindi - Storykunj
आज सुबह जैसे ही सुमित जी ऑफिस में पहुंचे ही थे कि बेटी निशी के स्कूल से फोन आया।
हेलो ! सुमित ने फोन रिसीव किया।
उधर से सुरीली आवाज में एक मैम बोली -
सर ! आपकी बेटी निशी ! जो क्लास थर्ड में है।
मैं उसकी क्लास टीचर बोल रही हूं.......
हां जी....... सुमित बोले।
सर ! आज स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग है। और बच्चों का रिपोर्ट-कार्ड दिखाया जाएगा। इसलिए आप अपनी बेटी के साथ टाइम से स्कूल पहुंचे।
बेचारे पापा क्या करते।
आदेश के पाबंद सुमित..... फौरन ऑफिस से छुट्टी ली और घर से बेटी को लेकर उसके स्कूल पहुंच गए।
सामने लाइट पिंक कलर की साड़ी पहने, माथे पर छोटी सी बिंदी लगाए, कम उम्र की, गोरी सी लेकिन एक बेहद तेज-तरार दिखने वाली मैम बैठी थी।
इससे पहले कि सुमित मैम से कुछ बोल पाते। मैम ने लगभग गुस्सा होते हुए कहा....
आप अभी रुकिए, मैं आपसे अलग बात करूंगी।
सुमित ने बेटी निशी की तरफ देखा और दोनों चुपचाप जाकर एक बेंच पर बैठ गए।
निशी पापा से कहने लगी - मैम बहुत गुस्से में लगती हैं।
तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है ना। पापा ने धीरे से पूछा....
पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं है। निशी ने अपना बचाव करते हुए कहा।
"मुझे भी लगता है, आज तो तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ-साथ मेरी भी क्लास लेंगी।"
सुमित खुद को तैयार करते हुए बोले।
पापा - बेटी दोनों आपस में धीरे-धीरे फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली हो कर बोली ! हां ! अब आप दोनों भी आ जाइए।
पापा किसी तरह उस शहद भरी तीखी मिर्ची सी आवाज वाली मैम के पास पहुंचे और निशी पापा के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।
मैम बोली ! देखिए आपकी बेटी की शिकायतें तो बहुत हैं। लेकिन पहले आप इसकी एग्जाम की कॉपियां और रिपोर्ट देखिए।
बताइए... इसको कैसे पढ़ाया जाए..... निशी की मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी......
निशी डर के मारे अब भी पापा के पीछे छुपी हुई थी।
मैम बोली ! पहले इसकी इंग्लिश की कॉपी देखिए। फेल है आपकी बेटी।
पापा ने एक नजर बेटी निशी की तरफ देखा जो डर के मारे सहमी हुई खड़ी थी..... फिर मुस्कुरा कर बोले !
इंग्लिश एक विदेशी भाषा है। इस उम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।
इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था.....
मैम - और यह देखिए.... यह हिंदी में भी फेल है। बताइए क्यों?
अब क्या यह भी विदेशी भाषा है।
पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा मानो उसकी नजरें पापा को सॉरी बोल रही थी।
पापा - हिंदी एक कठिन भाषा है। यह ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है। वैसा ही लिखा जाता है। अब आपके इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हिंदी बोलने वाला नहीं होगा......
पापा ने फिर बेटी निशि का बचाव किया।
मैम ने पापा को बीच में ही रोकते हुए कहा अच्छा ! तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो.......
इस बार पापा ने मैम की बात काटते हुए कहा - और बच्चे क्यों फेल हुए? यह मैं नहीं बता सकता.....मैं तो
मैम (चिढ़ते हुए बोली) - पहले आप पूरी बात तो सुन लिया करो। मेरा मतलब था कि बाकी बच्चे कैसे पास हो गए।........ "फेल नहीं"
अच्छा छोड़ो, यह दूसरी कॉपी देखो आप। जहां आजकल के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग-रग से वाकिफ हैं। तो फिर आपकी बेटी कंप्यूटर जैसे सब्जेक्ट में भी कैसे फेल हो गई?
है कोई जवाब आपके पास।
पापा इस बार निशी की कॉपी को गौर से देखते हुए, सीरियस होकर बोले - यह कोई उम्र है बच्चों को कंप्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।
पापा की बातें सुनकर अब मैम का पारा सातवें आसमान पर था.....
वह कॉपियां समेटते हुए बोली - आपको साइंस की कॉपी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूं कि "अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में फेल होते थे।"
पापा चुपचाप खड़े थे
मैम फिर निशी की शिकायतें आगे बढ़ाते हुए बोली.... निशी क्लास में बिल्कुल डिसिप्लिन में नहीं रहती, बातें बहुत करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।
पापा - (मैम को बीच में रोक कर), टेबल पर कुछ खोजती हुई निगाह से देखते हुए बोले........
पापा - वह सब छोड़िए, आप कुछ भूल रही हैं। इसमें मैथ की कॉपी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताया ही नहीं।
मैम - (मुंह फेरते हुए बोली) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।
पापा - फिर भी जब सारी कॉपियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे, उसे भी दिखा दीजिए।
मैम ने इस बार अनमने मन से निशी की तरफ देखा और मैथ की कॉपी निकाल कर दिखाई।
मैथ के नंबर अन्य विषयों से अलग थे.... पूरे 100%
मैम अब भी मुंह फेरे बैठी हुई थी। लेकिन मैथ के नंबर देखकर पापा पूरे जोश में थे।
पापा - हां तो मैम ! मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
मैम( धीरे से) - "मैं"
पापा - हिंदी
मैम - "मैं"
पापा - और कंप्यूटर कौन पढ़ाता है?
मैम - वह भी "मैं"
अच्छा तो अब यह भी बता दीजिए कि मैथ कौन पढ़ाता है?
मैम कुछ बोल पाती। उससे पहले ही पापा टेबल पर दोनों हथेलियां तेज आवाज के साथ टेकते हुए जवाब देने खड़े हो गए।
पापा - "मैं"
मैम (झेपते हुए) - हां-हां पता है
पापा - तो अच्छा टीचर कौन हुआ? आगे से मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना, बच्ची है, शरारत तो करेगी ही।
मैम तिलमिलाकर खड़ी हो गई। और गुस्से में चिल्लाते हुए बोली........
मिलना तुम दोनों आज घर पर....."दोनों बाप- बेटी की अच्छे से खबर लेती हूं।" !!!!!!!!!!!!
सच में बेटियां पापा की परी होती हैं।
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Very Good
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