एकांतवास का दर्द - Inspirational Story In Hindi - Storykunj
35 वर्षीय सोनपाल एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्टर के कहने पर जांच करवाई तो पता चला कि वह करोना पॉजिटिव है। रिपोर्ट देखकर सोनपाल काफी परेशान हो गया था।
अपनी ही बिल्डिंग में करोना मिलने की खबर से बिल्डिंग में रहने वाले सारे लोग सकते में आ गए। महानगरपालिका, पुलिस आदि को सूचना दे दी गई। कुछ देर बाद एंबुलेंस आकर सोनपाल को अस्पताल ले गई। सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होकर लौटने की प्रार्थनाएं की।
डॉक्टर ने सोनपाल को समझाया और कुछ दवाइयां दी।
15 दिन की कठिन जद्दोजहद के बाद अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर सोनपाल अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।
कोरोना जैसी महामारी से जूझने के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आना। किसी बड़ी जंग को जीतने से कम ना था।
सोनपाल ने एंबुलेंस भी बुलवा ली थी। और कुछ देर में वह अपने घर के लिए निकलने वाला था।
अस्पताल में आसपास कुछ लोग तालियां बजा कर पूरे जोश, उत्साह और प्रसन्नता से उसका अभिनंदन कर रहे थे।
एक तरह से सोनपाल को जंग ही तो जीतने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा रहा था।
लेकिन आज सोनपाल के चेहरे पर प्रसन्नता के साथ-साथ छुपी हुई बेचैनी की गहरी छाया थी।
गाड़ी से घर लौटने के पूरे रास्ते भर उसे याद आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो तकलीफ भरा मंजर।
आइसोलेशन के दौरान बहुत कम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन का कोई साधन नहीं, कोई बात नही करता था। और न ही कोई उसके नजदीक आता था। तीनों वक्त का खाना भी बस प्लेट में भरकर दूर से ही सरका दिया जाता था।
कितने कठिन थे आइसोलेशन (एकांतवास) के दिन। उसने वह 15 दिन कैसे गुजारे, वही जानता था।
घर पहुचते ही अपनी उत्साही पत्नी और अपने बच्चों को छोड़कर सोनपाल सीधे सबसे पहले
घर के एक अलग-थलग से कोने के कमरे की ओर गया। जहाँ उसकी माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी । सोनपाल अपनी माँ के पावों में गिरकर खूब रोया और उन्हें उस एकांत कमरे से लेकर बाहर आया।
5 वर्ष पहले सोनपाल के पिता की मृत्यु हो गई थी। पिता की मृत्यु के बाद से एकांतवास भोग रही माँ से कहा कि माँ आज से आप, हम सब एक साथ, एक जगह पर ही रहेंगे।
बेटे के बदले हुए बोल सुनकर माँ को भी बड़ा आश्चर्य हुआ कि आख़िर बेटे ने पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ? एकाएक आज उसका इतना बड़ा हृदय परिवर्तन कैसे हो गया ?
बेटे ने फिर अपने आइसोलेशन (एकांतवास) की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई।
और बोला मां ! मुझे माफ कर दो। मैंने आपके साथ ऐसा व्यवहार किया। मैं अपनी करनी के लिए बहुत शर्मिंदा हूं। अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ?
बूढ़ी मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। क्योंकि आज बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी।
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